ज्ञान-गुदड़ी | Kabir Ki Gyan Gudri | ज्ञान-गुदड़ी क्या है | ज्ञान-गुदड़ी का मतलब

इस पोस्ट में, मैं पहले ज्ञान गुदड़ी क्या है, जिसे कबीर दास जी ने धरमदास जी को बताया है उसको लिखने वाला हूँ | बाद में मैं ज्ञान गुदड़ी का अध्यात्मिक मतलब क्या है बताने वाला हूँ|

मै चाहता हूँ की यह ज्ञान गुदड़ी का मतलब जन-जन तक सरल रूप में पहुँचे और सब इसका लाभ उठा सके|

आशा करता हूँ आप लोगो को मेरा यह प्रयास ज्ञानवर्धक होगा | यदि आप को कोई त्रुटि लगाती है तो कमेंट बॉक्स में पोस्ट करिए गा ताकि मै उसको सही कर सकूं|

अगर मेरा व्याख्या अच्छा लगे तो इसको ज्यादा से ज्यादा लोगो तक पहुंचाए|

धर्मदास विनवै कर जोरी, साहेब सुनिये विनती मोरीl

काया गुदड़ी कहो संदेशा, जासे जीव का मिटे अंदेशाll

अलख पुरुष जब किया विचारा, लख चौरासी धागा डाला |

पाँच तत्व से गुदड़ी बीनी, तीन गुनन से ठाढी कीन्ही ||

तामे जीव ब्रह्म अरु माया, समरथ ऐसा खेल बनाया |

जीवहिं पांच पचीसों लागे, काम क्रोध ममता मद पागा||

काया गुदड़ी का विस्तारा, देखो संतो अगम सिंगारा |

चाँद सूर्य दोउ पेवन लागे, गुरु प्रताप से सोवत जागे ||

शब्द की सुई सुरति कर धागा, ज्ञान टोप से सीयन लागा |

अब गुदड़ी की कर होशियारी, दाग न लागे देखू विचारी ||

सुमति की साबुन सिरजन धोई, कुमति मैल को डारो खोई |

जिन गुदड़ी का किया विचारा, तिनको भेटे सिर्जन हारा ||

धीरज धुनी ध्यान धरू आसन, सत की टोपी सहज सिंहासन |

युक्ति कमण्डल कर गहि लीन्हा, प्रेम फावड़ी मुर्शिद चीन्हा ||

सेली के शील विवेक की माला, दया की टोपी तन धर्मशाला |

महरम तंगा मत बैशाखी, मृगछाला मनही को राखी ||

निश्चय धोती पवन जनेऊ, अजपा जपे सो जाने भेऊ |

रहे निरन्तर सद् गुरु दाया, साधु संगति करि सब कछु पाया ||

लव कर लकुटी हृदया झोरी, क्षमा खड़ाऊ पहिर बहोरी |

मुक्ति मेखला सुरति सुमरणनी, प्रेम पियाला पीवै मौनी ||

उदासी कुबरी कलह निवारी, ममता कुत्ती को ललकारी |

युक्ति जंजीर बांधी जब लीन्हा, अगम अगोचर खिर की चीन्हा ||

वैराग त्याग विज्ञान निधाना, तत्व तिलक दीन्हों निर्वाना |

गुरु गम चकमक मनसा तूला, ब्रम्ह अग्नि प्रगट कर मूला ||

संशय शोक सकल भ्रम जारा, पाँच पचीसों प्रगटहि मारा |

दिल की दर्पण दुविधा खोई, सो वैरागी पक्का होई ||

शून्य महल में फेरी देई, अमृत रस की भिक्षा लेई |

दुःख सुख मेला जग के भाऊ, त्रिवेणी के घाट नहाऊ ||

तन मन शोधि भया जब ज्ञाना, तब लखि पावैं पद निरवानाl

अष्ट कमल दल चक्कर सूझे, योगी आप-आप में बूझे ||

इंगला के घर पिंगला जाई, सुषमनी नारी रहै लौ लाई |

वोहं सोहं तत्व विचारा, बंक नाल में किया संभारा||

मन को मारि गगन चढ़ी जाई, मान सरोवर पैठी नहाई |

अनहद नाद नाम की पूजा l ब्रह्म वैराग्य देव नही दूजा ll

छुट गए कशमल कर्मज लेखा, यहि नैनन साहब को देखा ||

अहंकार अभिमान विहारा, घाट का चौका कर उजियारा |

चित करू चन्दन तुलसी फूला, हित करू सम्पुट  करि ले मूला ||

श्रद्धा चंवर प्रीति का धूपा, नूतन नाभ साहेब का रूपा |

गुदरी पहिरे आप आलेख, जिन यह प्रगट चलायो भेषा ||

साहब कबीर बख्श जब दीन्हा, सुर नर मुनि सब गुदरी लीन्हा |

ज्ञान गुदरी जो पढ़े प्रभाता, जनम जनम के पातक जाता ||

ज्ञान गुदरी जो पढ़े मध्याना, सो लखि पावै पद निर्बाना |

सन्ध्या सुमिरन जो नर करहि, जरा मरन भवसागर तरहि l

कहै कबीर सुनो धर्मदासा, ज्ञान गुदड़ी करहू प्रकाशा||

ज्ञान गुदरी का सार

• ज्ञान गुदारी कबीर दास जी द्वारा धर्मदास जी को बताया गया शरीर का ज्ञान है। ज्ञान गुदरी में धर्मदास, कबीर साहेब से शरीर (गुदरी) के बारे में पूंछ रहे हैं ताकि भक्त गण इसे जान कर और अभ्यास कर मुक्ति को प्राप्त कर सकें।

• इसमे धर्मदास जीवात्मा का प्रतीक है और कबीर दास परमात्मा का।

• जैसा कि आप सभी को पता है, कबीर दास बड़े ऊंचे स्तर के संत (=जो अपने पूरे संस्कार को खत्म कर लिया हो और मुक्त हो चूका हो) थे।

• अगर बहुत बारिकी से ज्ञान गुदरी पे विचार करे तो आप पाएंगे कि इसमें कबीर साहेब पहले इस शरीर (गुदरी) की बनवत के बारे में बताते हैं, फिर इससे संचलन के बारे में बताते हैं, इससे बाद में सफाई के बारे में और फिर उसे शुद्ध कैसे रखें के बारे में बताते हैं। और अंत में बताते हैं कि आप कैसे खुद के अंदर जाकर सभी आध्यात्मिक अनुभूति को अनुभव कर सकते हैं तथा मुक्ति को प्राप्त कर सकते हैं।

• इस लिये ज्ञान गुदरी का ज्ञान और अभ्यास अपने आप का साक्षातकार करने  का पूर्ण साधन है।

ज्ञान गुदड़ी का अध्यात्मिक मतलब

धर्मदास जी साहब , सद्गुरु कबीर साहब से हाथ जोड़कर विनती करते हैं कि हे सद्गुरु ! मेरी प्रार्थना सुनकर काया गुदड़ी का वर्णन करने की कृपा करें , जिससे हृदय का अज्ञान दूर हो जाये ।

Similar Posts

10 Comments

  1. कहीं कहीं पर शब्द का त्रुटि है,जिस कारण वाक्य का
    शब्दार्थ पूरा नहीं होता है।

Leave a Reply to Shiv Kumar Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *