ढाई अक्षर: जीवन के मूल तत्व
कबीर दास के दर्शन और उनकी सरल लेकिन गहन पंक्तियां सदियों से भारतीय समाज की सोच, आचार और व्यवहार को प्रभावित करती आई हैं। उनकी एक प्रसिद्ध पंक्ति “पोथी पढ़-पढ़ जग मुआ, पंडित भया न कोय; ढाई अक्षर प्रेम के, पढ़े सो पंडित होय” जीवन के सही अर्थ को समझने की एक महत्वपूर्ण दृष्टि प्रदान…