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समुद्र में लहरों की भाँति: आपका आत्मा और संसार
जीवन का एक अद्वितीय तत्त्व है – समुद्र। समुद्र, जिसमें लहरें सदैव आती जाती रहती हैं, हमारे आत्मा के साथ एक गहरा संबंध बनाता है। अष्टावक्र ऋषि के शब्दों में, “समुद्र में लहरों की भाँति संसार तुम्हारे भीतर उठता है । ये सच है! आप स्वयं जागरूकता हैं।” इस लेख में, हम जानेंगे कि हमारी…
आत्मा के संकल्प: संसार के मिथ्या रहस्य का खुलासा
आत्मा और उसके संकल्पों का महत्व हमारे जीवन में अद्भुत है। ऋषि अष्टावक्र के शब्दों में छिपी एक गहरी ज्ञान के साथ हम देख सकते हैं कि आत्मा के संकल्प हमारे जीवन को कैसे प्रभावित करते हैं और हमें संसार के रहस्य को कैसे समझना चाहिए। इस लेख में, हम अष्टावक्र ऋषि के उपदेशों को…
अष्टावक्र की दृष्टि: शांति के पथ पर शरीर का अद्वितीय भूमिका
योग और ध्यान के जगत में, भारतीय संस्कृति ने हमें अनगिनत महापुरुषों की गरिमा दिलाई है, जिन्होंने आत्मज्ञान और आत्म-साक्षात्कार की ओर हमारे पद दिखाया है। अष्टावक्र, एक प्रमुख योगी और ज्ञानी ऋषि थे, ने शरीर और आत्मा के संबंध को अपने उपदेशों में अद्वितीय तरीके से व्यक्त किया। “अपने शरीर से बंधा हुआ, साधक प्रयास…
अष्टावक्र और मन: जागरूकता का महत्व
“इच्छा और द्वेष मन के होते हैं। मन कभी तुम्हारा नहीं होता. आप इसकी अशांति से मुक्त हैं। आप स्वयं जागरूकता हैं, कभी नहीं बदलते। आप जहां भी जाएं, खुश रहें.” – अष्टावक्र मन – यह वास्तव में एक अद्वितीय और रहस्यमय अंग है, जिसे समझने का प्रयास करना हमारे जीवन में महत्वपूर्ण है। अष्टावक्र…
आत्मज्ञान: भगवान, काल्पनिकता, और मुक्ति का संदेश
आज के बदलते जीवन में, मानवता के अटल सवाल हैं – “हम कौन हैं?” और “हमारा धर्म क्या है?” अष्टावक्र ऋषि ने इन प्रश्नों के सुनहरे उत्तर की ओर हमें बढ़ाया है। उनके विचार से हम जान सकते हैं कि भगवान, काल्पनिकता और मुक्ति के संदेश के साथ कैसे एक उच्च अद्वितीय स्थिति में पहुँच…
आत्मज्ञान: “मेरा” और “मैं” की भ्रांति को दूर करते हुए मुक्ति की ओर
“मेरा” और “मैं” – ये दो शब्द हमारे जीवन में गहरे रूप से प्रासंगिक हैं, लेकिन क्या ये हमारे आत्मा की असली स्वरूप को समझने में हमारी रोक रहे हैं? यदि हां, तो क्या हम वास्तविक मुक्ति की ओर अग्रसर हो सकते हैं? यह सवाल आध्यात्मिक जीवन के महत्वपूर्ण सवालों में से एक है, और…