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शुद्ध जागरूकता: सत्य की ओर की पहल
सम्पूर्ण जीवन एक खोज है, खोज सत्य की ओर बढ़ने की. यह खोज अधिकतर लोगों के जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा होती है, क्योंकि यह उन्हें उनके आसपास के संसार के असली प्रकृति को समझने में मदद करती है. इस लेख में, हम “आप शुद्ध जागरूकता हैं” के इस महत्वपूर्ण बयान के साथ चर्चा करेंगे और…
समुद्र में लहरों की भाँति: आपका आत्मा और संसार
जीवन का एक अद्वितीय तत्त्व है – समुद्र। समुद्र, जिसमें लहरें सदैव आती जाती रहती हैं, हमारे आत्मा के साथ एक गहरा संबंध बनाता है। अष्टावक्र ऋषि के शब्दों में, “समुद्र में लहरों की भाँति संसार तुम्हारे भीतर उठता है । ये सच है! आप स्वयं जागरूकता हैं।” इस लेख में, हम जानेंगे कि हमारी…
आत्मज्ञान: “मेरा” और “मैं” की भ्रांति को दूर करते हुए मुक्ति की ओर
“मेरा” और “मैं” – ये दो शब्द हमारे जीवन में गहरे रूप से प्रासंगिक हैं, लेकिन क्या ये हमारे आत्मा की असली स्वरूप को समझने में हमारी रोक रहे हैं? यदि हां, तो क्या हम वास्तविक मुक्ति की ओर अग्रसर हो सकते हैं? यह सवाल आध्यात्मिक जीवन के महत्वपूर्ण सवालों में से एक है, और…
बुद्धिमान व्यक्ति: अष्टावक्र के दर्शन का राह
भारतीय धार्मिक ग्रंथों में, जीवन के विभिन्न पहलुओं को समझाने वाले अनगिनत शिक्षक हुए हैं। अनेक दर्शनिक और महात्मा ने जीवन की सच्चाई को खोजते हुए अपने अनुभवों के माध्यम से लोगों को जागरूक किया है। इनमें से एक दर्शनिक अष्टावक्र थे, जिनके उपदेशों में आत्मा के अस्तित्व की गहरी समझ है। उनके शब्दों से…
अज्ञान से तुम मोती में चांदी देखते हो: आत्म-अज्ञान और लोभ का संबंध
आत्म-अज्ञान और लोभ, ये दोनों ही मानव मन के गहरे कोनों में छिपे होते हैं। अष्टावक्र, एक महान ऋषि, ने इस गहरे संबंध को बताया है – “जब अज्ञान से तुम मोती में चांदी देखते हो तो लोभ उत्पन्न होता है। आत्म-अज्ञान से उस संसार की इच्छा उत्पन्न होती है जहाँ इंद्रियाँ घूमती हैं।” इस…
आत्मा का मुक्ति: अष्टावक्र के उपदेश का अध्ययन
अष्टावक्र गीता, एक प्राचीन ग्रंथ है, जिसमें आत्मा और मुक्ति के महत्वपूर्ण विचारों का विवेचन किया गया है। इस ग्रंथ में अष्टावक्र ऋषि द्वारा आत्मा के धर्म के विषय में विचार किए गए हैं। अष्टावक्र ऋषि का कहना है कि आत्मा का कोई धर्म नहीं है और मुक्ति केवल अपने को स्थूल देह से परे…